शिक्षा धन अनमोल है, पढ़ने का करो जतन।
विद्वानों को दुनिया पूजती, आदर करते हर जन।।
शिक्षित लोगों को देखो, अलग है उनकी शान।
ना हो भले रुपया-पैसा, पर होता शिक्षा का स्वाभिमान।।
रुपया-पैसा भले खो जाये, छीन जाये हर चीज़।
पर विद्वान की ज्ञान न छीने, बाँटे से बढ़ती जाये।।
शिक्षित ही सोंच सकता है, सबके लिये कल्याण।
अशिक्षित तो पेट की खातिर, करता है हर काम।।
शिक्षित वे नहीं होते, जिन्हें शिक्षा का हो अभिमान।
शिक्षित वे भी नहीं जो लेते हर समय पुरखों का नाम।।
शिक्षित वे जो कभी सत्य पर दे-दे अपनी जान।
प्रेम, दया, क्षमा, त्याग जिनकी हो पहचान।।
- प्रभाकर कुमार 'सन्नी'
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