Tuesday, January 17, 2012

आँखिन


आँखिन में प्रीतिरस, रीति सब आँखिन में

आँखिन में अक्षर लिखत हैं सुघराई के,

आँखिन में काम औ ढिठाई सब आँखिन में

आँखिन में सील बसै सुरिसरनाई के

आलम सुकवी कहै अमृत है आँखिन में

आँखिन में जगजोति दोई हैं सुहाई के

काम के ततच्छिन सब लच्छिन हैं आँखिन में

आँखिन में भेद हैं भलाई और बुराई के।

''रास्ता''


हैं! रास्ते तो खुब पर] मंज़िल का पता चाहिए]
निभायेंगे हम साथ] पर उनसे भी वफा चाहिए।
चले हैं जिस पथ में कई आयेंगे उस पर मोड  भी]
लगेंगे अगर कोई ठोकर] तो गिरकर संभलना चाहिए॥

चल पड े हैं राह में करके बुलंद हौसले]
इस अंधेरी राह में बस] जुगनु का सहारा चाहिए।

काँटे] गड्‌ढे] पत्थरें हैं] मार्ग में बिखरे बहुत पर]
थाम ले जो बांह ऐसा कोई साथी चाहिए॥

आँखें पत्थर] खून पानी] बुझ चुके हैं दीप सारे]
कर सके जो रोद्गानी ऐसी उम्मीद चाहिए।

आ गये किस मोड  प,े सूझता नहीं जब रास्ता]
दिखा जो दे राह] ऐसा कोई दोस्त चाहिए॥

बाँटों खुद्गिायाँ भूल कर गम] आज यहाँ हर किसी को]
बस खुद्गिायाँ ही खुद्गिायाँ चाहिए।

हैं रास्ते तो खुब पर] मंजि ल का पता चाहिए।

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''हमारा गाँव''



इतना प्यारा गाँव हमारा, ऐसी हो इसकी पहचान।
छोटा-बड़ा का भेद नहीं हो रहते हों सब एक समान॥

नहीं कहीं भी बैर भाव हो, नहीं कहीं भी हिंसा।
ना किसी का डर हो यहाँ, ना हो कल की चिंता॥

भारत की पहचान यही है, पलती जहाँ पर सभ्यता।
फूलों की खुद्गाबु हो इतनी, झूम उठे मन सबका॥

छोटों को जहाँ मिले प्यार, और बड ों को मिले सम्मान।
जहाँ वचन की खातिर लोग दे दें अपनी जान॥

द्गिाक्षित हों हर जन, परन्तु तनिक नहीं अभिमान हो।
चलें धर्म पर सभी, मगर थोड ा बहुत विज्ञान हो॥

ना हो हिन्दू,  ना हो मुस्लिम जहाँ सभी इंसान हो।
किसी धर्म का बंध नहीं हो, किसी जाति का नाम ना हो॥

मेहनत सबका धर्म हो और कर्म ही सबकी पूजा।
भाईचारे की भावना हो सबमें, ना कोई पराया ना ही दूजा॥

देश प्रेम की भावना ऐसी दिम में कुर्बानी की जज्बात हो।
कोई देखे नहीं कुदृष्टी से देद्गा को, ऐसी उनमें बात हो॥

सभी नारी हो सीता जैसी, पर लक्ष्मीबाई सी शान भी हो।
मान-मर्यादा पहचान हो उनकी, पर इंदिरा गाँधी सी आन भी हो॥

बस यही है सपना अपना . . . !

इतना प्यारा गाँव हमारा, ऐसी हो इसकी पहचान,
छोटा-बड ा का भेद नहीं हो रहते हों सब एक समान॥


@ प्रभाकर 'सन्नी' @