Tuesday, February 21, 2017

मैं हारा हुआ इंसान हूँ . . .

लड़ी नहीं लड़ाई मैंने,
ना कोई मेरा दुश्मन है.
फिर भी, मैं हारा हुआ इन्सान हूँ.

मेरा संघर्ष स्वयं से,
हर वक्त चलता, द्वन्द युद्ध है.
सुना था मैंने जितने को,
मन पर विजय जरुरी है.
हर ख्वाहिश कुचले, अरमां मसले,
मन को बहुत संभाला मैंने,
ना मन हारा, ना मैं जीता,
और सब कुछ गंवाया मैंने,
क्यूंकि, मैं हारा हुआ इंसान हूँ.

बहुत प्यार था दिल में मेरे,
चला उसे सब ओर लुटता,
चंद लोग थे मेरे अपने,
कुछ खून से, कुछ जीवन से,
विचारों के धरातल पर उनसे भी मैं जा टकराया,
हर ठोकर पर गिरते-पड़ते,
रोते-हँसते उन्हें मनाया,
मेरे लड़ाई ऐसी है कि . . .
हार कर सब कुछ गावऊँ, जीत कर भी हार जाऊं.
क्यूंकि, मैं हारा हुआ इंसान हूँ.

लोग कहते दिल की सुन लो, दुनिया सारी तेरी होगी,
ये अजब सा खेल है कि,
दिल की सुनने जब चला मैं, सब ने मेरी जुबां क़तर दी,
हँसना-रोना, कुछ ना आये, पत्थर सा एक बुत बना के,
खेलते हैं सभी मुझसे, मजबूत और गंभीर कहकर,
क्यूंकि, मैं हारा हुआ इंसान हूँ . . .

Thursday, September 24, 2015

मैं निःशब्द हूँ . …

एक दिन मेरे अशांत मन ने मुझसे पूछा एक सवाल, मानव कौन है? माथा रगड़ा, सिर धुना, फिर मुझको मिला ये जवाब . . .
मानव वो जो, मानव से मानव पैदा करे,
मानव वो जो, मानव की मानवता पर मरे।
            मानव वो जो, मानव के बीच समानता को समझे,
            मानव वो जो, सभी मानव को अपना सा मानव समझे।
मानव वो जो, मानवों पर प्रेम-करुणा बरसाये,
मानव वो जो, मानव से उचित संबंध बनाये।
            मानव वो जो, शासन- सत्ता से, मानव को उपर माने,
            मानव वो जो, मानव हित में ही अपना हित जाने।

एक दिन मेरे अधर्मी मन ने पुछा मुझसे ये सवाल, धर्म क्या है? धर्म की बात से डरते-डरते मुझको सुझा ये जवाब . . .
धर्म वही जो अन्य धर्मों को उचित सम्मान पहुंचाए]
धर्म वही जो लोगों में मानवता का पाठ पढ़ाए।
            धर्म वही जो कर्मकाण्डों से, कर्म को उँचा माने]
            धर्म वही जो किताबों से से जीवन को उँचा जाने।
धर्म वही जो सत्य, अहिंसा, उधम का राह बताए,
धर्म वही जो, वैरभाव सब मानव मन से मिटाये।
                       
एक दिन मेरे विद्रोही मन ने पूछा मुझसे एक सवाल, सत्ता क्या है? हमने अपना अपराध मानकर दिया यही जवाब . . .
सत्ता वही, जिसमें दिलों पर डर का हो साम्राज्य,
सत्ता वही, जिसमें दण्डधर करे बहुजन पर राज।
            सत्ता वही, जिसमें हम खुद को औरों से श्रेष्ट बताए,
            सत्ता वही, जिसमें राजा, प्रजा की आंसू बेच कमाए।
सत्ता वही, जहां धोखे से अपना नाम करें हम,
सत्ता वही, जहां लूट से अपना घर भरे हम।
            सत्ता वही, जो औरों के अधिकार छीनने में अपनी शक्ती जाने,
            सत्ता जो, अधिकार साथ में कर्तव्य जुड़ा है यह कभी ना माने।

इसके बाद मेरे बागी मन ने मुझसे बगावत की,
कहा तुम्हें कुछ नहीं पता है, सब उत्तर गलत है दी।
दुनिया वैसी नहीं है, जैसा कि तुम समझते हो,
मेरी बात सुनो ध्यान से जो मैं तुम्हें कहता हूँ,
सारे प्रश्नो का एक उत्तर मैं तुमको देता हूँ।
मानव जो धर्म की सीढ़ी से सत्ता तक पहुंच बनाये,
सत्ता को ही धर्म बताकर मानव पर शासन चलाए।

            सुन कर उत्तर मेरे मुंह से निकले एक न बोल, 
             मैं नि: शब्द हूँ . . . 
                                                                                                                                  ~ सन्नी ~

Tuesday, March 17, 2015

लड़ार्इ

(यह कविता बराबरी, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाली महिलाओं को समर्पित है। वैसी महिलायें जिन्होंने अपनी सीसकियों को अपनी नियती मान लिया है यह कविता मैं उन्हें भी अर्पित करना चाहता हूँ।)


लड़ेंगे हम, लड़ेंगे हम
लड़ार्इ है अधिकार की, जीतेंगे या मरेंगे हम!
लड़ेंगे हम - - - -

बेटी-बहन, माँ-बहू से अलग भी पहचान हो,
समाज के इन संबोधनों से अलग भी एक नाम हो,
हमारा हर प्रयास एक मुकाम तक पहँच सके,
लड़ार्इ है अरमानों की, मुकाम तक पहुँचेंगे हम,

जननी हैं हम, पालक भी हैं,
देष और समाज के विकास के वाहक भी हैं,
अबला अगर समझते हो तो मिट जायेंगी हसितयाँ,
हर जूल्म की कलार्इ को मोड़ेंगे हम, तोडेंगे हम,
लड़ार्इ है स्वाभिमान की, लड़ेंगे हम, जीतेंगे हम।

बराबरी और सम्मान का हमारा भी अधिकार हो,
शोषण के खिलाफ हमारे हाथ में तलवार हो,
प्रेम, करुणा, अहिंसा का समाज में प्रचार हो,
राक्षसों के कौम को ललकार कर मिटायेंगे,
लड़ार्इ है सम्मान की, जीयेंगे या मरेंगे हम।

आओ ऐसी दुनिया हम मिलकर के बनायेंगे,
ऐसी दुनियाँ जहाँ हमारे सपने भी साकार हों,
ज्मीन पर, आकाश पर, संसद पर भी अधिकार हो,
समाज के किले की हम नींव हो, गुंबद भी हों,
लड़ार्इ है आकाश की लड़ेंगे हम, पायेंगे हम!

लड़ार्इ है अधिकार की हर हाल में जीतेंगे हम!
लड़ेंगे हम, लड़ेंगे हम- - -

                                      सन्नी ~