हैं! रास्ते तो खुब पर] मंज़िल का पता चाहिए]
निभायेंगे हम साथ] पर उनसे भी वफा चाहिए।
चले हैं जिस पथ में कई आयेंगे उस पर मोड भी]
लगेंगे अगर कोई ठोकर] तो गिरकर संभलना चाहिए॥
चल पड े हैं राह में करके बुलंद हौसले]
इस अंधेरी राह में बस] जुगनु का सहारा चाहिए।
काँटे] गड्ढे] पत्थरें हैं] मार्ग में बिखरे बहुत पर]
थाम ले जो बांह ऐसा कोई साथी चाहिए॥
आँखें पत्थर] खून पानी] बुझ चुके हैं दीप सारे]
कर सके जो रोद्गानी ऐसी उम्मीद चाहिए।
आ गये किस मोड प,े सूझता नहीं जब रास्ता]
दिखा जो दे राह] ऐसा कोई दोस्त चाहिए॥
बाँटों खुद्गिायाँ भूल कर गम] आज यहाँ हर किसी को]
बस खुद्गिायाँ ही खुद्गिायाँ चाहिए।
हैं रास्ते तो खुब पर] मंजि ल का पता चाहिए।
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