Tuesday, January 17, 2012

आँखिन


आँखिन में प्रीतिरस, रीति सब आँखिन में

आँखिन में अक्षर लिखत हैं सुघराई के,

आँखिन में काम औ ढिठाई सब आँखिन में

आँखिन में सील बसै सुरिसरनाई के

आलम सुकवी कहै अमृत है आँखिन में

आँखिन में जगजोति दोई हैं सुहाई के

काम के ततच्छिन सब लच्छिन हैं आँखिन में

आँखिन में भेद हैं भलाई और बुराई के।

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